विश्व पर्यावरण दिवस एवं योगी जी का जन्मदिवस

बहुत दिनो से सोच रहा था कि योगी जी के जन्मदिवस को कोई एक विश्व दिवस का नाम दिया जाये तब तक मुझे स्मरण नहीं था कि 5 जून पहले ही विश्व पर्यावरण के रूप में चिन्हित है। मैं समझता हूं यदि योगी के जन्मदिन को कोई भी अन्य नाम दिया जाता तो वह पर्यावरण दिवस से बेहतर नहीं होता क्योंकि पर्यावरण आज विश्व की एक अहम समस्या बन चुका है। तरह तरह की बीमारियां सुनामी और साइक्लोन कोविड 19 और डेंगू जैसी बीमारियां आज विश्वजनमत को भयभीत कर रहीं हैं। अकेले कोविड 19 ने विश्व को मौत के एक ऐसे अंधेरे में ढकेल दिया जिससे निकलने का किसी के पास कोई रास्ता नहीं। पूरा विश्व इस महामारी से पीड़ित है विश्व के वैज्ञानिक इसके कारण और निवारण को अबतक नहीं समझ सके यह वायरस कहां से आया क्यों आया इस पर विचार होना चाहिये। मुझे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की बात में दम दिखाई पड़ता है। उनका साफ कहना है कि यह सब प्रकृति के नृशंसता पूर्वक दोहन का परिणाम है। वह कहा करते हैं कि प्रकृति के पांच प्राण पशु, पक्षी, पानी, पेड़, पहाड़ आज विश्व में इन सबकी संख्या घट रही है बढ़ती हुई जनसंख्या की तुलना में पशु लगातार कम हो रहें है सन 1951 की पशु गणना में एक हजार आदमी के पीछे 450 से ज्यादा पशु हुआ करते थे। ग्रामीण भारत में शायद ही कोई परिवार रहता रहा हो जिसके पास अपना कोई पालतू पशु न हो लेकिन तथाकथित सभ्यता के दौर ने कोठियों में कुत्ते भले मिल जायें लेकिन किसी अन्य पशु के दर्शन नहीं होते इसी तरह, तरह-तरह के पक्षी जो प्रायः ग्रामीण घरों के आसपास चह चहाया करते थे उनकी आवाज कहीं गुम हो गई क्योंकि उनका आश्रय पेड़ हुआ करते थे जब वृक्ष ही नहीं तब पक्षी कहां से वृक्षों के अंधाधुंध कटान से धरती नंगी हो चुकी है सरकारों को हर साल वृक्षारोपण के अभियान चलाने होते है लेकिन वह सब कागजी साबित होते हैं इसी तरह पानी की स्थिति इस देश ने कभी सोंचा भी नहीं था कि पानी बोतलों में बिकेगा श्री अटल बिहारी वाजपेई जी कहा करते थे कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिये होगा। आज पानी दूध से मंहगा है जहां तक उसकी शुद्धता का सवाल है कि जो गंगा जल देव पूजन के लिये भी पवित्र माना जाता था आज वह पशुओं के पीने लायक नहीं है तालाब पट रहें है और नदियों पर बनने वाले बांधों के कारण उनमें गाध जमा हो रही है और वह सूखती जा रहीं है देश की कई पवित्र नदियां आज इतिहास का हिस्सा बनकर रह गई सरस्वती, क्षिप्रा जैसी नदियां तो समाप्त हो चुकी है गया में जाकर जिस नदी के जल से लोग पितरों का तर्पण करते थे वह भी सूख चुकी है। काठमांडू से निकले वाली बाघमती अब गंदे नाले के रूप में बची है गोमती जहां से निकली है वहां समाप्त हो चुकी है यह नदियां धरती की नस नाड़ी की तरह है जिनके निरंतर सूखते जाने से धरती के प्राण संकट में पहाड़ों की स्थति अत्यंत दैनिय हो चुकी हिमालय की कच्ची पहाड़ियां बाधों सुरगों सड़कों और पर्यटन स्थलों के नीचे दब कर समाप्त प्रय हो चुकी हैं इसीलिये हिमालय से निकलने वाली नदियों में जल कम आपदायें ज्यादा आती हैं यह सब देखकर जिस एक पहाड़ी युवक का मन आहत हुआ वह और कोई नहीं रैंजर आनंद सिंह बिष्ट का बेटा अजय सिंह बिष्ट है। उत्तराखण्ड के नितांत पिछडे गांव में जन्म लेने वाला यह बालक जब जिस प्रकृति को मां कहा जाता है उसके साथ क्रूर व्यवहार को देख तो सहन नहीं कर सका सुंदर लाल बहुगुणा जैसे लोग उसके प्रेरणा पुरूष बन गये और मात्र 22 साल की उम्र में वह घर परिवार छोड़ कर अपने चाचा के धर्म स्थान गोरखपुर पहुंच गया केवल एक मंसा लेकर कि हम नाथ पंथ की उस परंपरा का अध्ययन करेंगे जिसने गौ रक्षा से लेकर गंगा रक्षा तक पीढ़ियों संघर्ष किया । योग साधना के द्वारा भोग की अदम्य लालसा जिसने प्रकृति जैसी मां को मां नहीं समझा उसको योग के द्वारा नियंत्रित करने की कोसिस की है अलख निंरज के उदघोष के नीचे यह बालक उस हर चुनौती के लिये अपने मन को तैयार करने लगा जिसे प्रकृति को क्षति पहुंच रही थी पूज्य मंहत अवैद्यनाथ जो पीढ़ियों से तीर्थों की रक्षा के लिये लड़ रहे थे राम जन्म भूमि के उद्धार के लिये जेल से लेकर विधानसभाओं तक का रास्ता नाप रहे थे उन अप्रतीम योगी का आर्शीवाद उसके लिये वरदान बना और वह उनसे दीक्षा लेकर अजय सिंह से आदित्यनाथ बन गया दीक्षा के सीर्फ दो वर्ष बाद ही हिन्दुस्तान के इतिहास में सबसे कम उम्र का सांसद बनकर संसद में अपनी आवाज बुलंद करने पहुंच गया जनता ने भी इस सहासी सन्यासी का केवल सम्मान नहीं किया बल्कि उसके संघर्ष में साथ खड़ी हो गई और 1996 से लेकर 2014 तक के सभी लोकसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को उनकी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिये व्यापक जन सर्मथन मिला और वह लगातार पांच बार गोरखपुर से लोकसभा के लिये चुने गये उन्होंने अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये उन सभी संगठनों और संस्थाओं से हाथ मिलया जो प्रकृति पर्यावरण और लोक संस्कृति की रक्षा में उनका सहयोग कर सकें इस क्रम में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विद्यार्थी परिषद विश्व हिन्दु परिषद के बजरंग दल और भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा को अपने साथ लिया उनकी इस प्रतिभा को उत्तर प्रदेश की राजनीति में लोगों ने निकट से पहचाना और 2017 के विधानसभा के चुनाव में जन सभाओं को सम्बोधित करते हुये उन्होंने हिन्दुओ के प्राण राम जन्मभूमि गंगा और हिमालय के लिये लड़ते रहे यह लड़ाई उन्हें बिरासत में मिली थी लेकिन जहां उनके पूर्व आचार्यों से यह काम छूटा था उसकों वहीं से आगे बढ़ाया सैकड़ों वर्ष की गुलाम राम जन्मभूमि मुक्त हुई गंगा की प्रदूषित धारा जो प्रयाग पहुंच कर अस्पृश्य बन जाती थी उसे न केबल नहाने और पीने के लिये निर्मल बनाया बल्कि उसके तट पर लगने वाले अर्धकुम्भ को महाकुम्भ बना दिया जो आधुनिक विश्व गंगा के प्रदूषित जल को देखकर नाक भों सिकोड़ते थे वह लोग भी प्रयाग की निर्मल गंगा में न केबल ढुबकी लगाने लगे अपितु उसके जल को शीसियों में भरकर देव पूजन के लिये ले जाने लगे प्रयाग का अर्धकुम्भ महाकुम्भ ही नहीं बना बल्कि गीनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड ने उसकी अहमियत को स्वीकार किया जिस दिन वह मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेने जा रहे थे मुझे आजतक के एक पत्रकार ने पूछा कि यह अनुभवहीन युवक हिन्दुस्तान के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की विकृत व्यवस्था को कैसे सुधारेगा निश्चित ही यह प्रश्न केवल आजतक का नहीं था प्रदेश की आम जनता की आंखे भी योगी के कार्यकलाप पर लगी हुई थी दो वर्ष के सक्षिप्त कार्यकाल में प्रदेश के आम जनता की सोंच इस सन्यासी ने बदल दी और 2019 के लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से संसद में पहुंची भाजपा नेतृत्व ने उनकी प्रखर वाणी और तेजस्वी स्वभाव को परखा और उन्हें उत्तर प्रदेश तक ही सीमित न रखकर देश में जितने चुनाव हुये सब में स्टार प्रचारक के रूप में प्रस्तुत किया त्रिपुरा जैसे राज्य में जहां कभी भाजपा का खाता तक नहीं खुला अपने अंधधुंध चुनाव अभियान से वहां पूर्ण बहुमत की सरकार बना दी हमेश बैसाखियों पर चलने वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब हुयी अल्लाह हु अकबर के नारे आकाश में कहीं खो गये और हर गली कूंचे में जय श्री राम गूंजने लगा हिन्दू युवतियों को देखकर कुत्तों की तरह उनके पीछे लगने वाले लव जिहादी जेल गये या जहान्नुम गये पशुओं के कत्लखाने बंद हुये गांव गांव में गौशालायें खुलने लगी आज राजनैतिक स्वार्थों के कारण योगी सरकार पर कोई उल्टी सीधी टिप्पणी तो कर सकता है लेकिन योगी के खिलाफ कहने के लिये किसी के पास कुछ नहीं है आज जो लोग उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की बात कह रहें हैं तो भाजपा के लोगों से मैं एक ही बात कहना चाहता हूं कि अगर योगी आपका नहीं तो यूपी भी आपके बाप का नहीं आज वर्षों के बाद हिन्दुस्तान में किसी अकेले एक व्यक्ति पर प्रदेश की आम जनता ने भरोसा किया है तो वह है योगी आदित्यनाथ पहाड़ से उतर कर गंगा ने सगर पुत्रों को ही नहीं भारत की धरती को पापों से मुक्त किया वह किसी भागीरथ के पीछे चली थी जैसे भागीरथ के पीछे चल कर गंगा ने भारत की धरती को स्वर्ग बना दिया बैसे ही आदित्यनाथ के पीछे चलने वाली जनशक्ति गंगा की तरह निर्मल और अविरल है हम उनके पचासवें जन्म दिन पर भगवान शंकर से प्रार्थना करते हैं कि उत्तराखण्ड का यह अजय विश्व में भारत को भी अजय बनाने में सफल हो।